शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

एक व्यंग्य 42 : वैलेन्टाईन डे.....उर्फ़ प्रेम प्रदर्शन --

एक व्यंग्य 42 : वैलेन्टाइन डे--उर्फ़ प्रेम प्रदर्शन दिवस


[ नोट-अब ’वैलेन्टाइन डे’ की उमर तो नहीं रही। बस लिख लिख कर ही मना लेता हूँ \जब जब ’पुरवा हवा’ बहती है --हड्डियाँ उस "वलैन्टाइन डे" की याद दिला देती है जब यह खाकसार शहीद होते होते बचा था। फ़गुनहटा अभी ठीक से बह नहीं रहा है --अभी तो  "वैलेन्टाइन डे’ की बयार है। इस पवित्र पावन अवसर पर अपना एक पुराना व्यंग्य धो पोंछ कर लगा रहा हूँ संशोधित और परिवर्धित संस्करण ।जो  अभी तक इस व्यंग्य के ’पठन सुख’ से वंचित रह गए  हैं ,उनके लिए------
 
कल वैलेन्टाईन डे है। यानी’ प्रेम-प्रदर्शन ’ दिवस ।

अभी अभी अखबार पढ़ कर उठा ही था कि मिश्रा जी आ गए।

अखबार से ही पता चला कि कल वैलेन्टाईन डे है। बहुत से लेख बहुत सी जानकारियाँ छपी थीं  । वैलेन्टाईन डे क्या होता है ,इसे कैसे मनाना चाहिए ।मनाने से क्या क्या पुण्य मिलेगा। न मनाने से क्या क्या पाप लगेगा । कितना ’परलोक’ बिगड़ेगा कितना परलोक सुधरेगा।अगले जन्म में किस योनि में जन्म लेना पड़ेगा। इस दिन को क्या क्या करना चाहिए ,क्या क्या नहीं  करना चाहिए.\.बहुत से ’टिप्स" बहुत सी बातें । वैलेन्टाईन डे पर ये 10 बातें न करें ...ये 10 बातें ज़रूर करें ।इस जन्म में क्या पता उसका बाप मिलने दे या न दे। अगले जन्म में मिलने का वादा ज़रूर करें -इस से -वैलेन्टाईन प्रभावित होती है।

 इधर नवयुवक नवयुवतियाँ बड़े जोर शोर से मनाने की तैयारी कर रही हैं  । अभी सरस्वती मैया की पूजा से फ़ुरसत मिली है । ज्ञान की देवी है सरस्वती मैया। हाल ही में ज्ञान मिला कि प्रेम से बढ़ कर कोई ज्ञान नहीं --ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय। पंडित वही होगा जो ’प्रेम’ करेगा वरना उम्र भर "पंडा’[ पांडा नहीं] बना रहेगा.... वैलेन्टाईन डे की पूजा कराता रहेगा।

नई पीढ़ी ग्रीटींग्स कार्ड की ,गिफ़्ट शाप की दुकानों में घुस गई है ।शापिंग माल भर गये हैं इन नौजवानों से ,नवयुवकों से, नवयुवतियों से । कोई कैण्डी बार खरीद रहा है ,कोई गुलाब खरीद रहा है ,कोई गिफ़्ट खरीद रहा है । खरीद ’रहा है’ -इसलिए कि लड़कियाँ गिफ़्ट नहीं खरीदती ,कल उन्हें गिफ़्ट मिलना है।

 एक लड़की दुकानदार से पूछती है-:भईया ! कोई ऐसा ग्रीटिंग कार्ड है जिस पर लिखा हो--- यू आर माई फ़र्स्ट लव एंड लास्ट वन।

" हाँ है न ! कितना दे दूँ बहन?

"5-दे दो"

;बस ?’-दुकानदार ने कहा -" मगर पहले वाली बहन जी तो 10 ले गई है"

’तो 10 दे दो न’

  सत्य भी है ।कल ’प्रेम प्रदर्शन दिवस’ है तो प्रदर्शन होना चाहिए न । देख तेरे पास 5,तो मेरे पास 10
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और इधर ,भगवाधारी लोग ,हिन्दू संस्कृति के वाहक , भारतीय सभ्यता के संरक्षक अपनी अपनी तैयारी कर रहे हैं । बैठके कर रहे हैं। यह ’अपसंस्कृति’ है । इसे रोकना हमारा परम कर्तव्य है ।वरना संस्कृति मिट जायेगी। डंडो मे तेल पिलाया जा रहा है।इसी से ’अपसंस्कृति’ रुकेगी। त्वरित न्याय होगा कल -आन स्पाट न्याय’ । भारतीय संविधान  चूक गया इस मामले में  सो हमने जोड दिया। हम कल खुलेआम ये नंगापन न होने देगें। जो वैलेन्टाईन डे मना रहे हैं  वो भटके हुए ,गुमराह लोग है उन्हें हम इसी डंडे से ठीक करेंगे

और पुलिस? पुलिस की अपनी तैयारी है ...जगह जगह ड्यूटी  लगाई जा रही है ...बीच पर..पार्क में ..रेस्टोरेन्ट में ,झील के किनारे ,,,बागों में.... वादियों में ...जहाँ जहाँ संभावना है ..वहाँ वहाँ ,,,किसी की ड्युटी दिल पर नहीं लगाई जा रही है ..इस दिन .दिल से प्रेम का प्रदर्शन नहीं होता ..सो पुलिस का वहाँ क्या काम?

 खुमार बाराबंकी साहब ने यही देख कर यह शे’र पढ़ा होगा...

 न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है
 दिया जल रहा है  और हवा चल रही है


तैयारियाँ दोनो तरफ़ से जबर्दस्त हो रही है ...दीयों ने भी तैयारियाँ कर रखी है ,,,,हवायें भी तैयार है कल के लिए ...। फ़ैसला कल होगा

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कल एक रेस्टराँ में बैठा था ।श्रीमती जी का ध्यान .मीनू-कार्ड’ पर था और मेरा ’कान’ पीछे वाली टेबल पर था जिस पर चार लड़कियाँ बैठी गपशप कर रही थी। हम दोनों अपने अपने काम में व्यस्त थे।
--यार मीनू ! मेरा वाला ब्वाय फ़्रेन्ड तो खूसट है साला --पिछले साल तो वैलेन्टाइन डे पर एक गुलाब थमा दिया साले ने--कंजड़ कहीं का। खाली हवा-हवाई बातें करता है

--तभी तो मैं कहती हूँ ,तू ठीक से ब्वाय फ़्रेन्ड सलेक्ट नहीं करती ---मेरा वाला तो खूब ’इन्वेस्ट’ करता है मुझ पर । हर मौके पर मुझे  नई मोबाइल देता है ,सूट देता है ,घुमाता है ,फिराता है  होटल ले जाता है खिलाता है पिलाता है ।बड़े घर का लड़का है पैसे वाला है।
इस बार तो कह दिया इस वलेन्टाइन पे नई कार लूँगी --नहीं तो बस कुट्टी---हाँ ---
--यार तू तो बड़ी लकी है---मुझसे भी मिलवा न एक दिन---

मैं ’इनवेस्ट’ शब्द सुन कर मन दुखी हो गया ।प्यार में भी ’इनवेस्टमेन्ट’ ?? प्यार प्यार न हो कर ’व्यापार’ हो गया । राम राम राम । यह दुनिया किधर जा रही है । जितने लाभ की उमीद---उतना "इन्वेस्ट्मेन्ट" ।यह वेलेन्टाइन डे वाली पीढ़ी कभी न समझ पाएगी कि सच्चा प्यार क्या चीज़ है । फिर सोचा मैं भी तो ’इन्वेस्ट्मेन्ट’ ही कर रहा हूँ श्रीमती जी को महीने में एक बार इस रेस्त्राँ में लाकर -----सोचा ---ये लड़के-लड़कियाँ सब----

"हे मिस्टर ! किधर खो गए --श्रीमती जी ने पूछा। मेरी तन्द्रा भंग हुई---" तुम्हारे लिए क्या ’आर्डर ’कर दूँ। डाक्टर नें तेल-घी से बनी  चीज़ मना किया है---’मसाला छाछ’ आर्डर कर दूँ ?
कितना ख़याल करती है मेरी यह पगली वैलेन्टाइन

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अखबार पढ़ कर उठा ही था कि सुबह ही सुबह मिश्रा जी आ धमके। जो हमारे नियमित पाठक हैं वो मिश्रा जी से परिचित है और जो पाठक अभी अभी इस ’चैनेल’ से जुड़े हैं उनके बता दे कि मेरी हर कथा में वह अयाचित आ धमकते है और अपनी राय देने लगते हैं । अगर आप उनकी राय मान लेते हैं तो रोज़ आते हैं , नहीं मानते हैं तो हफ़्ते दो हफ़्ते में एकाध बार आते हैं ।

अपनी हर राय में प्रेम चोपड़ा का एक डायलाग ज़रूर बोलते है...’ मैं वो बला हूँ जो शीशे से पत्थर तोड़ता हूँ। लगता है कि आज भी कोई न कोई पत्थर तोड़कर ही जायेंगे

आते ही आते उन्होने अपने ’शीशे’ से एक प्रहार किया

" अरे भई ! क्या मुँह लटकाये बैठे हो? कल .वैलेन्टाईन डे है ,कुछ तैय्यारी वैय्यारी की है नहीं"?

’क्या मिश्रा ! अरे अब यह उमर है ...वैलेन्टाईन डे मनाने की? बच्चे बड़े हो गये ,बाल सफ़ेद हो गये ,सर्विस से रिटायर भी हो गया ...अब  "आखिरी वक़्त में क्या खाक मुसलमाँ होंगे?’

’यार तुम्हें मुसलमान होने को कौन कह रहा है? वैलेन्टाईन डे  में बाल नही देखा जाता है  ,गिफ़्ट देखा जाता है गिफ़्ट ..उमर नहीं देखी जाती ..आल इज फ़ेयर इन ’लव’ एंड ’वार’

अखबार पढ कर मन तो था कर रहा था कि हम भी वैलेन्टाईन डे  मनाते ..हम 60 के क्यों हो गये ... हमारी जवानी के दिनों  मनाया जाता तो हम भी  5-10 वैलेन्टाईन बना कर रखते अबतक। अतीत में चला गया मैं...उस ज़माने में कहाँ होता था वैलेन्टाईन डे । पढ़्ने में ही लगा रहा...फिजिक्स...कमेस्ट्री ..मैथ। पढ़ाई खत्म हुई तो पिता जी ने एक ’वैलेन्टाईन ’ ठोंक दी मेरे सर ....35 साल से ’बेलन’ बजा रही है मेरे सर पर। यह मिश्रा बहुत काम का आदमी है कहता है वैलेन्टाईन डे मनाने की कोई उमर नहीं होती....न जाने कहाँ खो गया मैं, ख़यालों में....,

 -" अरे भाई साहब ! कहाँ खो गए ?कल .वैलेन्टाईन डे है ,कुछ तैय्यारी वैय्यारी की है नहीं"?

-यार कभी मनाया नहीं ,मुझे तो कुछ आता नहीं .. कुछ बता तो मनाऊँ

-पहले तो 1 वैलेन्टाईन होना ज़रूरी है । कोई है क्या?

-हें हें हें अरे यार इस टकले सर पे कौन वैलेन्टाईन बनेगी? 1-है तो ज़रूर जो मेरे शे’र पर  फ़ेसबुक पर वाह वाह करती है......’-मैने शर्माते शर्माते यह राज़ बताया

-" अच्छा तो तू उसे फोन मिला और कह कि कल वैलेन्टाईन डे है..........." मिश्रा जी ने अपने ’शीशे’ से दूसरा पत्थर तोड़ना चाहा

-यार मुझे करना क्या होगा ?पहले ये तो बता ’-मैने अपनी दुविधा बताई

-कुछ नहीं, बस बाज़ार से 2-4 ग्रीटिग कार्ड खरीद ले....,2-4  कैंडी बार ..2-4 कैडबरी चाकलेट  बार..2-4 गुलाब के फूल ,अध खिली कली हो तो अच्छा..2-4 पेस्ट्री ..2-4 केक ..2-4 .इश्क़िया शे’र -ओ-शायरी ....2-4...."

-;यार मिश्रा ! तू वैलेन्टाईन डे मनवा रहा है कि सत्यनारायण कथा की ’पूजन सामग्री ’ लिखवा रहा है ।

-भई पाठक जी ! वैलेन्टाईन डे भी किसी ’पूजा’ से कम नही । वो खुश नसीब होते है जिन्हें कोई ’पूजा’ डाइरेक्ट मिल जाती है

और यह 2-4 दो-चार क्या लगा रखा है?-और वैलेन्टाईन डे में ’केक’ का क्या काम ?

-कुछ आईटम रिजर्व में रखना चाहिए। एक न मिली तो दूसरे में काम आयेगा...और जब पुलिस तुम्हे डंडे मारेगी पार्क में  तो वही ’केक’ उसके मुँह पर पोत देना..भागने में  सुविधा रहेगी- मिश्रा जी ने ’केक’ की उपयोगिता बताई

-और गुलाब का फूल ’लाल’ लेना है कि ’सफ़ेद ?

-सफ़ेद गुलाब ??? -मिश्रा जी अचानक चौंक कर बैठ गए -बोले---"यार तू वैलेन्टाईन डे मनाने जा रहा है कि मैय्यत पर फूल चढ़ाने जा रहा है?

-यार मिश्रा ! शे’र-ओ-शायरी में मेरा शे’र चलेगा क्या ?

तू सुना तो मैं बताऊँ-"

 मैने अपना एक शे’र बड़े तरन्नुम से बड़ी अदा से  बड़ा झूम झूम कर पढ़ा....

   नुमाइश नहीं है ,अक़ीदत है दिल की
   मुहब्बत है मेरी इबादत में शामिल




मिश्रा जो ठठ्ठा मार कर हँसा कि मैं घबरा गया कि कहीं शे’र का ’बहर’ /वज़न तो नही गड़बड़ा गया कहीं तलफ़्फ़ुज़ तो ग़लत तो नहीं हो गया ।

 मिश्रा जी ने रहस्योदघाटन किया कि तुम्हारे ऐसे ही घटिया शे’र से कोई वैलेन्टाईन  नहीं बनी और न बनेगी । और जो बनाने जा रहे हो सुन कर वो भी भाग जायेगी...एक काम करो...तुम शे’र-ओ-शायरी वाला पार्ट मेरे ऊपर छोड दो..... भुलेटन भाई पनवाड़ी के पास इश्क़िया शायरी का काफी स्टाक है,.... सुनाता रहता है ...कल मैं 2-4 शे’र तुम्हें लिखवा दूँगा ...

अच्छा तो मैं चलता हूँ

मिश्रा जी चलने को उद्दत हुए ही थे  कि यकायक ठहर गये..पूछा

-यार भाभी जी नहीं दिख रही है : कहीं गई है क्या :

-हाँ यार ! ज़रा 2-4 दिन के लिए मैके गई है

-मैके? और इस मौसम में? भई मैं तो कहता हूँ कड़ी नज़र रखना उन पर  । कही वो  न .वैलेन्टाईन डे मना लें मैके में~’-  कहते हुए मिश्रा जी वापस चले गये

-अस्तु-




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